DAILY CURRENT AFFAIRS
- November 11, 2021
- Posted by: Sushil Pandey
- Category: Uncategorized
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, जलवायु परिवर्तन के विषम प्रभाव स्वीकारने, उत्सर्जन में असमानता, दुनिया भर में ऊर्जा और संसाधन खपत का आकलन करने के लिए एक ऑनलाइन डैशबोर्ड–क्लाइमेट इक्विटी मॉनिटर शुरू
- क्लाइमेट इक्विटी मॉनिटर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, जलवायु परिवर्तन के विषम प्रभाव स्वीकारने, उत्सर्जन में असमानता, दुनिया भर में ऊर्जा और संसाधन खपत और अनेक देशों की वर्तमान जलवायु नीतियों का आकलन करने के लिए एक ऑनलाइन डैशबोर्ड प्रदान करता है।
- वेबसाइट की संकल्पना और इसका विकास भारत के स्वतंत्र शोधकर्ताओं – एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन (एमएसएसआरएफ), चेन्नई में जलवायु परिवर्तन समूह और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफएडवांसस्टडीज(एनआईएएस) बेंगलुरु में प्राकृतिक विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग ने अन्य स्वतंत्र शोधकर्ताओं के साथ किया है।
- एमएसएसआरएफ टीम का नेतृत्व जलवायु परिवर्तन और एनआईएएस टीम में सीनीयर फैलो प्रो. टी. जयरामन और एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. तेजल कानिटकर ने किया।
क्लाइमेट इक्विटी मॉनिटर का उद्देश्य
- क्लाइमेट इक्विटी मॉनिटर का उद्देश्य पर्यावरण संबंधी खतरों से रक्षा करने के साथ सभी के लिए पर्यावरण के लाभों तथा साझा सरोकारों लेकिन विभिन्न देशों की अलग-अलग क्षमताओं और जिम्मेदारियों (सीबीडीआर-आरसी) के आधार पर यूएनएफसीसीसी (विकसित देशों) के अंतर्गत परिशिष्ट-I पक्षों के कामकाज की निगरानी करना है। तुलना के लिए गैर-परिशिष्ट-I पक्षों (विकासशील देशों) के कामकाज और नीतियों को भी तैयार किया जाएगा।
- संचयी उत्सर्जन और कार्बन बजट के महत्व को रेखांकित करने वाले इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) के नवीनतम वैज्ञानिक परिणामों को ध्यान में रखते हुए, विश्लेषण इन दो अवधारणाओं को सहारा देगा।
- वैश्विक कार्बन बजट का समान बंटवारा मौलिक इक्विटी सिद्धांत है जो उन आकलनों को मजबूती प्रदान करेगा जो उत्तरोत्तर वेबसाइट पर दिखाई देंगे।
- जलवायु नीतियों पर मौजूदा “ट्रैकिंग” वेबसाइटें वैश्विक उत्तर में आधारित हैं और नियमित रूप से इक्विटी और भेदभाव के महत्वपूर्ण पहलुओं का समाधान नहीं करती हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, अन्य वेबसाइटें, प्रमुख मुद्दों को उन जटिलताओं में दबा देती हैं जिनसे पारदर्शी तरीके से निपटा नहीं जाता है
- इस डैशबोर्ड को तैयार करने वालों ने विशेष रूप से वैश्विक दक्षिण की जनता के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए यह पहल की है कि जलवायु परिवर्तन की समस्या सामूहिक रूप से कार्य करने की दिशा में एक समस्या है।
- वेबसाइट का उद्देश्य कई विकसित देशों और वैश्विक गैर-सरकारी संगठनों द्वारा किए गए वर्णन को खारिज करना है, जो लगातार विकासशील देशों को क्या करना चाहिए, इस पर ध्यान केंद्रित करते हैं, लगातार उनसे अधिक प्रतिबद्धता और कार्रवाई की मांग करते हैं।
- वेबसाइट अतिरिक्त नई सामग्री के साथ निरंतर उन्नयन की प्रक्रिया से गुजरेगी, जिसमें जलवायु वित्त, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और अनुकूलन जैसे नए क्षेत्रों को शामिल करना शामिल है।
प्रधानमंत्री की वेटिकन सिटी की यात्रा
- दो दशकों से अधिक समय में किसी भारतीय प्रधानमंत्री और कैथोलिक चर्च के प्रमुख, पोप के बीच यह पहली मुलाकात थी।
- पिछली बार जून 2000 में, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने वेटिकन का दौरा किया था और तत्कालीन पोप जॉन पॉल द्वितीय से मुलाकात की थी। भारत और रोम के बिशप ऑफिस के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध 1948 में राजनयिक संबंधों की स्थापना के समय से हैं।
- भारत एशिया में दूसरी सबसे बड़ी कैथोलिक आबादी का घर है।
National Unity Day 2021: राष्ट्रीय एकता दिवस 31 अक्टूबर को क्यों मनाया जाता है
- National Unity Day 2021: राष्ट्रीय एकता दिवस (National Unity Day) हर साल 31 अक्टूबर को मनाया जाता है. 31 अक्टूबर को भारत के पहले उप प्रधान मंत्री और गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती है. प्रत्येक साल इस दिन को राष्ट्रीय एकता दिवस (National Unity Day) के रूप में मनाया जाता है.
- सरदार वल्लभ भाई पटेल की 145वीं जयंती है. इस मौके पर गुजरात के केवाड़िया पहुंच केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सरदार पटेल को श्रद्धांजली दी. शाह ने राष्ट्रीय एकता दिवस के मौके पर स्टैच्यू ऑफ यूनिटी में आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया.
राष्ट्र को एकजुट करने में अहम योगदान
दरअसल, सरदार वल्लभ भाई पटेल ने 560 रियासतों को भारत संघ में एकीकृत करने में अहम भूमिका निभाई थी. राष्ट्र को एकजुट करने के लिए सरदार पटेल के किए प्रयासों को स्वीकार करने के लिए राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है.
स्टैच्यू आफ यूनिटी का अनावरण
- स्टैच्यू आफ यूनिटी का अनावरण साल 2018 में किया गया था.
- सरदार पटेल की यह प्रतिमा 182 मीटर ऊंची है और यह दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है.
- दिवंगत स्वतंत्रता सेनानी वल्लभभाई पटेल को दर्शाने वाली मूर्ति को प्रमुख भारतीय मूर्तिकार राम वी सुतार द्वारा डिजाइन किया गया है.
- गुजरात के केवडिया जिले में सरदार सरोवर बांध के सामने नर्मदा नदी पर स्टेच्यू ऑफ यूनिटी को स्थापित किया गया है.
सरदार वल्लभभाई पटेल के बारे में
- सरदार वल्लभभाई पटेल भारत के पहले उप-प्रधान मंत्री थे. उन्होंने 500 से अधिक रियासतों को स्वतंत्र भारतीय संघ में शामिल करने के लिए राजी करने में प्रमुख भूमिका निभाई थी.
- पटेल को ‘लौह पुरुष’ के रूप में भी जाना जाता था, क्योंकि वे कई बाधाओं के बावजूद सभी रियासतों को नए स्वतंत्र भारत में सफलतापूर्वक एकीकृत करने में सफल रहे थे. सरदार वल्लभभाई पटेल को भारतीय गणराज्य के संस्थापकों में से एक माना जाता है.
- सरदार वल्लभभाई पटेल ने महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन और खादी आंदोलन का भी समर्थन किया था और केवल खादी के कपड़े पहनने का विकल्प चुना था.
- उन्हें 1934 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 49वें अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था. उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन को बढ़ावा देने में भी प्रमुख भूमिका निभाई थी. उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया था.
WHO के प्रमुख टेड्रोस घेब्रेयसस का कार्यकाल अगले पांच साल तक बढ़ा
- विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह कहा है कि, उसके महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस अगले पांच साल के कार्यकाल के लिए निर्विरोध चुने गये हैं.
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने शुक्रवार, 29 अक्टूबर, 2021 को यह घोषणा की है कि, कोविड -19 महामारी के दौरान सबसे प्रमुख शख्सियतों में से एक, टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस, विश्व स्वास्थ्य संगठन का नेतृत्व करने वाले एकमात्र उम्मीदवार हैं.
- अपने आवेदन पत्र में, इथियोपिया के इस पूर्व स्वास्थ्य और विदेश मंत्री ने यह कहा है कि, कोविड -19 ने “दुनिया को तबाह कर दिया” और अपने इस दूसरे कार्यकाल में, वे यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि इस तरह के एक और संकट से निपटने के लिए हमारी पृथ्वी “वास्तव में तैयार” रहे.
- वर्ष, 2017 में WHO नेतृत्व के लिए चुने गए टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस का पांच साल का जनादेश आगामी अगस्त माह में समाप्त होने वाला है.
टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस के निर्विरोध नामांकन के बारे में
- WHO ने अपने एक बयान में यह कहा है कि, “23 सितंबर, 2021 की समय सीमा तक सदस्य राज्यों द्वारा केवल एक ही उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव दिया गया था: डॉ टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस.”
- संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी ने यह भी कहा कि, टेड्रोस को 28 देशों द्वारा नामित किया गया था.
- सत्रह यूरोपीय संघ के सदस्यों ने टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस के दुसरे कार्यकाल के लिए ऑस्ट्रिया, फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड, पुर्तगाल, स्पेन और स्वीडन सहित अपना समर्थन दिया है.
छत्तीसगढ़ ने घोषित किया एक नया टाइगर रिजर्व
- गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और तमोर पिंगला वन्यजीव अभयारण्य के संयुक्त क्षेत्रों को एक नया टाइगर रिजर्व घोषित किया गया है. यह छत्तीसगढ़ का चौथा टाइगर रिजर्व भी है.
- राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने 05 अक्टूबर, 2021 को छत्तीसगढ़ सरकार के गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और तमोर पिंगला वन्यजीव अभयारण्य के संयुक्त क्षेत्रों को एक नए टाइगर रिजर्व के तौर पर घोषित करने के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी है.
- छत्तीसगढ़ में बना यह नया टाइगर रिजर्व झारखंड और मध्य प्रदेश की सीमा से लगे राज्य के उत्तरी भाग में स्थित है. अचानकमार, उदंती-सीतानदी और इंद्रावती रिजर्व के बाद छत्तीसगढ़ में यह चौथा टाइगर रिजर्व भी होगा.
- छत्तीसगढ़ सरकार के प्रस्ताव पर NTCA की 11वीं तकनीकी समिति ने 01 सितंबर को विचार किया था. एक महीने बाद वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 38V (1) के तहत इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है.
छत्तीसगढ़ में हुआ नए टाइगर रिजर्व का निर्माण
- वर्ष, 2011 में छत्तीसगढ़ में तमोर पिंगला वन्यजीव अभयारण्य की पहचान सरगुजा जशपुर हाथी रिजर्व के एक हिस्से के रूप में की गई थी. राज्य में स्थित गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान पहले अविभाजित मध्य प्रदेश में संजय राष्ट्रीय उद्यान का एक हिस्सा था.
- इन दोनों क्षेत्रों को आरक्षित वनों के रूप में पहचाना गया था और वर्ष, 2011 से ही ये दोनों क्षेत्र टाइगर रिजर्व के रूप में घोषित होने के लिए कतार में थे. हालांकि, इस नवीनतम अनुमोदन के साथ, गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और तमोर पिंगला अभयारण्य के संयुक्त क्षेत्रों को टाइगर रिजर्व घोषित किया गया है.
- छत्तीसगढ़ में नए टाइगर रिजर्व के आकार और क्षेत्रफल के बारे में जानकारी
- छत्तीसगढ़ में नए टाइगर रिजर्व के ये दोनों क्षेत्र, गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और तमोर पिंगला वन्यजीव अभयारण्य क्रमशः 1,44,000 हेक्टेयर और 60,850 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले हुए हैं.
- गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान कोरिया जिले में स्थित है जबकि तमोर पिंगला छत्तीसगढ़ के उत्तर-पश्चिमी कोने में सूरजपुर जिले में स्थित है.
गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और तमोर पिंगला वन्यजीव अभयारण्य की पृष्ठभूमि
भारत में, गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान एशियाई चीते का अंतिम ज्ञात निवास स्थान था और मूल रूप से संजय दुबरी राष्ट्रीय उद्यान का हिस्सा था. वर्ष, 2001 में छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद, इसे छत्तीसगढ़ के सरगुजा क्षेत्र में एक अलग इकाई के रूप में बनाया गया था.
छत्तीसगढ़ में बने इस नये टाइगर रिजर्व का महत्त्व
- छत्तीसगढ़ में वन्यजीव विशेषज्ञों और कार्यकर्ताओं का मानना है कि गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान को टाइगर रिजर्व में बदलना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मध्य प्रदेश और झारखंड को जोड़ता है और बाघों को पलामू और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के बीच आने-जाने के लिए एक गलियारा भी प्रदान करता है.
- दूसरी ओर, भोरमदेव छत्तीसगढ़ में इंद्रावती टाइगर रिजर्व को मध्यप्रदेश में कान्हा टाइगर रिजर्व से जोड़ता है. विशेषज्ञों के अनुसार, गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में टाइगर रिजर्व बनाने के इस निर्णय से भोरमदेव को टाइगर रिजर्व के रूप में अधिसूचित करने के प्रयासों पर भी असर नहीं पड़ना चाहिए.