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POLITICAL SCIENCE AND INTERNATIONAL RELATIONS

POLITICAL SCIENCE & INTERNATIONAL RELATIONS- 1999

नोट-

(i)    कुल पाँच प्रश्नों के उत्तर दीजिए। प्रश्न संख्या 1 एवं 6 अनिवार्य है। इनके अतिरिक्त तीन अन्य प्रश्नों के उत्तर दीजिए जिनमें से प्रत्येक खंड से कम से कम एक प्रश्न हो।

(ii)    सभी प्रश्नों के अंक समान है।

FIRST PAPER

भाग ‘अ’ Part-‘A’

1.    निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पर टिप्पणी लिखिए। प्रत्येक टिप्पणी 200 शब्दों से अधिक न हो।

(अ)   “समस्त पदार्थ आसानी से और पर्याप्त मात्रा में तथा उच्च कोटि के उत्पादित होते हैं, जबकि एक व्यक्ति उसी कार्य को करे जो उसके लिए स्वाभाविक हो तथा उसे उचित समय पर करे और अन्य कार्यों को छोड़ दे।

(ब)   ‘विद्रोह का कारण सदैव असमानता में पाया जाता है। – (अरस्तू)

(स)   राज्य का आधार शक्ति नहीं, इच्छा है।” – (ग्रीन)

(द)    “लोग की रक्षा के लिए ईश्वर ने राजा की सृष्टि की। – (मनु)

2.    राजनीति विज्ञान का प्रारम्भ तथा अन्त राज्य के साथ होता है। व्याख्या कीजिए।

3.    ऑस्टिन के सम्प्रभुता-सिद्धान्त का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।

4.    प्राकृतिक अधिकार के सिद्धान्त का परीक्षण कीजिए।

5.    लोकतन्त्र के सफल क्रियान्वयन की विभिन्न शो की विवेचना कीजिए।

Section B (खण्ड ‘ब)

6.    निम्नलिखित में से किन्हीं दो पर टिप्पणी लिखिए

(अ) भारतीय संघवाद में उभरती प्रवृत्तियाँ,

(ब) अध्यक्षात्मक सरकार,

(स) भारतीय राजनीति में हिंसा।

7.    भारतीय संविधान के निर्माण में अम्डेकर- की भूमिका की विवेचना कीजिए

8.    वर्तमान संदर्भो में गाँधीजी के सामाजिक एवं राजनीतिक विचारों की प्रासंगिकता पर अपने विचार अभिव्यक्त कीजिये।

9.    प्रशासनिक विचार प्रक्रिया में आज भी नौकरशाही की ही प्रबलता है। विवेचना कीजिए।

10.   ‘दबाव समूह’ अवधारणा की व्याख्या कीजिये तथा इसकी भूमिका का वर्णन कीजिये।

POLITICAL SCIENCE & INTERNATIONAL RELATIONS -1999

नोट :-

(i)    कुल पाँच प्रश्नों के उत्तर दीजिये जिनमें से प्रत्येक खण्ड से कम से कम दो प्रश्न हो।

(ii)    सभी प्रश्नों के अंक समान हैं।

Second Paper

भाग ‘अ’ Part-A

1.    निम्नलिखित प्रत्येक पर अनधिक 300 शब्दों में टिप्पणिय लिखिए:

(अ)   अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों में राज्येतरकर्ता

(ब)   “अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति शक्ति के संदर्भ में राष्ट्रीय-हित का अध्ययन है।

2.    “तथाकथित यथार्थवादी सिद्धान्त भी यथार्थ प्रतीत नहीं होता। व्याख्या कीजिए। ..

3.    “साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद, यद्यपि अपने राजनीतिक रूप में एशिया और अफ्रीका के अधिकांश क्षेत्र से विदा हो चुके हैं, पर अपने आर्थिक रूप में उनका अस्तित्व अभी भी इन महाद्वीपों में बना हुआ है।” विवेचना कीजिए।

4.    शीत युद्ध के अन्त तथा आणविक अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति की यथार्थता के संदर्भ में ‘असंलग्नता’ की प्रासंगिकता का परीक्षण कीजिए।

5.    “संयुक्त राष्ट्र ने कार्य अच्छा किया है, परन्तु वह पर्याप्त अच्छा नहीं है। कारण सहित उत्तर दीजिए।

Section B (खण्ड ब)

6.    निम्नलिखित प्रत्येक पर अनधिक 300 शब्दों में टिप्पणियाँ लिखिये-

(अ)   शान्ति के क्षेत्र के रूप में हिन्द महासागर

(ब)   अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों में योरोपीय आर्थिक समुदाय की भूमिका

7.    दक्षिण एशिया के प्रति संयुक्त राज्य अमेरिका की विदेश नीति के व आयामों की विवेचना कीजिए।

8.    चीन की दक्षिणी पूर्व एशिया सम्बन्धी विदेश नीति की विवेचना कीजिए।

9.    भारत की विदेश नीति शीघ्रता से बदलती हुई अर्राष्ट्रीय व्यवस्था अनुरूप स्वयं को ढाल सकी है। विवेचना कीजिए।

10.   दक्षिण-दक्षिण आर्थिक सहयोग की समस्याओं एवं संभावनाओं का परी: कीजिये।

POLITICAL SCIENCE & INTERNATIONAL RELATIONS-2000

नोट-

(i)    कुल पाँच प्रश्नों के उत्तर दीजिए। प्रश्न संख्या 1 एवं 6 अनिवार्य है। इनके अतिरिक्त तीन अन्य प्रश्नों के उत्तर दीजिए जिनमें से प्रत्येक खंड से कम से कम एक प्रश्न हो।

   (ii)       सभी प्रश्नों के अंक समान है।

First Paper

भाग ‘अ’ Part-‘A’

1.    निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए। प्रत्येक टिप्पणी 200 शब्दों से अधिक न हो

(अ)   मूल्य-तथ्य प्रभेद।

(ब)   ‘अधिकतम व्यक्तियों का अधिकतम सुख ।

(स)   ‘मिल एक अनिच्छुकं लोकतंत्रवादी है। – वेपर

2.    ‘शक्ति’ की अवधारणा का परीक्षण कीजिए। यह ‘प्रभाव’ तथा ‘सत्ता’ से किर प्रकार भिन्न है ?

3.    “लोकतांत्रिक समाजवाद’ के बुनियादी सिद्धान्तों का विवेचन कीजिए। यह मार्क्सवाद से किस प्रकार भिन्न है ?

4.    सामाजिक न्याय की अवधारणा समझाइए। यह समानता और स्वतंत्रता के अधिकारों की पूर्व स्थिति किस प्रकार है ? सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।

5.    कौटिल्य द्वारा वर्णित राज्य के सप्तांग सिद्धान्त का विवेचन कीजिए।

खण्ड ब (Section B)

6.    निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए।

(अ)   बहुल कार्यपालिका               

(ब)   राजनीतिक संस्कृति

(स)   उत्तर प्रदेश में सम्पन्न पंचायत चुनाव

7.    तिलक तथा गोखले के राजनीतिक विचारों का तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।

8.    अन्ततः संवैधानिक कानून नहीं अपितु राजनीतिक तत्व भारत में केन्द्र राज्य सम्बन्धों को निर्धारित करते हैं। क्या आप इस मत से सहमत है ? कारण सहित उत्तर दीजिए।

9.    संविधान के अभिभावक के रूप में भारतीय सर्वोच्च न्यायालय की भूमिका का परीक्षण कीजिए।

10.   भारत में स्थायी दलीय व्यवस्था की समस्या तथा संभावना का विवेचन कीजिए।

POLITICAL SCIENCE & INTERNATIONAL RELATIONS -2000

नोट :-

(i)    कुल पाँच प्रश्नों के उत्तर दीजिये जिनमें से प्रत्येक खण्ड से कम से कम दो प्रश्न हो।

(ii)    सभी प्रश्नों के अंक समान हैं।

Second Paper

भाग ‘अ’ Part-A

1.    निम्नलिखित पर टिप्पणियाँ लिखिये। प्रत्येक टिप्पणी 300 शब्दों से अधिक नहीं होनी चाहिए:

(अ)   अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध एक ही विषय नहीं है, अपितु यह विषयों का पुलिंदा है।

(ब)   राष्ट्रीय शक्ति, इस संसार में लगभग हर वस्तु की तरह सापेक्ष है।

(स)   वैचारिकी, जो कभी कर्म-पथ थी, बन्द गली की तरह हो गयी है।

2.    शक्ति संतुलन की अवधारणा की व्याख्या कीजिये। क्या शक्ति संतुलन की अवधारणा लुप्त हो गयी है ? तर्क दीजिए।

3.    “राजनय राष्ट्रीय-नीति तथा अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों का प्रमुख उपकरण है। व्याख्या कीजिए।

4.    नवीन अन्तर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लक्ष्यों तथा साधनों का विवेचन कीजिये।

5.    सी. टी. बी. टी. पर एक आलोचनाताक टिप्पणी लिखिए।

खण्ड II (Section II)

6.    निम्नलिखित पर टिप्पणियाँ लिखिए। प्रत्येक टिप्पणी 300 शब्दों से अधिक नहीं होनी चाहिए।

(अ) पाक्स अमेरिकाना                 

(ब) मिडिल किंग्डम कॉम्प्लेक्स

(स) गुजराल सिद्धान्त

7.    विगत दो दशकों में सुदूर पूर्व के देशों के प्रति संयुक्त राज्य अमेरिका की विदेश नीति का परीक्षण कीजिए।

8.    1960 के पश्चात् भारत-नेपाल सम्बन्धों का विवेचन कीजिए।

9.    रूस की पश्चिमी एशिया सम्बन्धी विदेश नीति का परीक्षण कीजिएं

10.   तीसरी दुनिया की प्रमुख विशेषताओं को इंगित कीजिए तथा अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों में इसकी भूमिका का विश्लेषण कीजिए।

POLITICAL SCIENCE & INTERNATIONAL RELATIONS -2001

नोट :-

(i)    कुल पाँच प्रश्नों के उत्तर दीजिये। प्रश्न संख्या 1 तथा 9 अनिवार्य हैं। इनके अतिरिक्त तीन अन्य प्रश्नों के उत्तर दीजिये जिनमें से प्रत्येक खण्ड से कम से कम एक प्रश्न हो।

(ii)    सभी प्रश्नों के अंक समान हैं।

FIRST PAPER

खण्ड-अ (Section-A)

1.    निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिये। प्रत्येक टिप्पणी 200 शब्दों से अधिक न हों।

(अ) “अपनी प्रजा के सुख में राजा का सुख है, प्रजा के कल्याण में उसका कल्याण है।” (कौटिल्य)

(ब) “इच्छा, न कि शक्ति राज्य का आधार है।” (टी. एन. ग्रीन)

(स) “विधि इच्छा से अप्रभावित विवेक है।” (अरिस्टोटल)

2.    सम्प्रभुता के बहुलवादी सिद्धान्त की आलोचनात्मक समीक्षा कीजिये।

3.    बेन्थम के राजनीतिक विचारों के महत्व का परीक्षण कीजिये।

4.    लोक-सम्प्रभुता सिद्धान्त के दार्शनिक आधार एवं मानव जाति के लिए उसके महत्त्व की विवेचना कीजिए।

5.    उदारतावाद के सिद्धान्त की वर्तमान दशा का, विशेषकर उसकी स्वतंत्रता प्रजातन्त्र और न्याय की संकल्पनाओं के संदर्भ में समीक्षात्मक विश्लेषण कीजिये।

खण्ड-ब (Section-B)

6.    निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिये :-

(क) अम्बेडकर का सामाजिक न्याय का सिद्धान्त

(ख) भारत में राजनीतिक आधुनिकीकरण

(ग) जिन्नाह का दो राष्ट्र सिद्धान्त

7.    “राजनीतिक सुधार सामाजिक सुधारों के पहले हों, बाद में नहीं। तिलक के इस कथन की विवेचना कीजिये।

8.    उत्तर प्रदेश में पंचायती राज संस्थाओं के संगठन और उनकी प्रगति का विवरण दीजिये और इस बात का परीक्षण कीजिए कि ग्रामीण पुननिर्माण और ग्रामीण विकास में वे कहाँ तक सहायक हैं.?

9.    “न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्ति संयुक्त स्वतन्त्र न्यायपालिका भारत के संविधान की प्रमुख विशेषता है।” विवेचना कीजिये।

10.   भारत में जातिवाद, साम्प्रदायिकतावाद और प्रादेशिकतावाद ने राजनीतिक समाजीकरण और विकास पर कहाँ तक और किस प्रकार प्रतिकूल प्रभाव डाला है।

POLITICAL SCIENCE & INTERNATIONAL RELATIONS -2001

नोट :-

(i)    कुल पाँच प्रश्नों के उत्तर दीजिये जिनमें से प्रत्येक खण्ड से कम से कम दो प्रश्न हो।

(ii)    सभी प्रश्नों के अंक समान हैं।

SECOND PAPER

खण्ड-I (Section-I)

1.    निम्नलिखित पर टिप्पणियाँ लिखिये। प्रत्येक टिप्पणी 300 शब्दों से अधिक नहीं होनी चाहिए:

(अ) “अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति, समस्त राजनीतियों के समान शक्ति के लिए संघर्ष का ही नाम है।”

(ब) “युद्ध अब संघर्ष मात्र न रहकर विनाश की प्रक्रिया बन गया है।”

(स)  फूटनीति का प्रथम लक्ष्य शान्तिपूर्ण उपायों द्वारा राष्ट्र हितों का संवर्धन हैं।

2.    निर्णायन सिद्धान्त की विश्लेषणात्मक संरचना को समझाइये। क्या वह राज्यों के वैदेशिक व्यवहार का पर्याप्त स्पष्टीकरण प्रस्तुत करता है? कारण सहित अपना उत्तर दीजिये।

3.    अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों में अन्तर्राष्ट्रीय कानून की भूमिका का विवेचन कीजिये।

4.    क्या आप सहमत हैं कि शीतयुद्ध की समाप्ति सोवियत संघ का विघटन : इन घटनाओं के परिप्रेक्ष्य में गुट निरपेक्ष आन्दोलन ने अपनी प्रासंगिकता खो दी है. कारण सहित अपना उत्तर दीजिये।

5.    नाभिकी निःशस्त्रीकरण की दिशा में किये गये प्रयासों की समीक्षा कीजिये ना इस मार्ग में आने वाली बाधाओं पर प्रकाश डालिये।

खण्ड-ब (Section-B)

6.    निम्नलिखित पर टिप्पणियाँ लिखिये। प्रत्येक टिप्पणी 300 शब्दों से अधिक नह होनी चाहिए:

(अ)   जापान के प्रति रूस की नीति

(ब)   योरोपीय संघ तथा नवोदित विश्व व्यवस्था।

(स)   एशियान क्षेत्रीय फोरम ।

7.    “अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय ‘विश्व के सर्वोच्च न्यायालय’ का एक धुंधला प्रतिबिम्ब है। व्यवहारिक दृष्टि से उसके पास अनिवार्य क्षेत्राधिकार का अभाव है। इस कथन की विवेचना कीजिये।

8.    भारत तथा पाकिस्तान के बीच सम्पन्न ‘आगरा शिखर वार्ता’ पर एक आलोचनात्मक टिप्पणी लिखिये।

9.    चीन-रूस सम्बन्धों की अभिनव प्रवृत्तियों का विवेचन कीजिये।

10.   1990 से दक्षिण एशिया के प्रांत संयुक्त राज्य अमेरिका की विदेश नीति का परीक्षण कीजिये।

POLITICAL SCIENCE & INTERNATIONAL RELATIONS- 2002

नोट :-

(i)    अभ्यर्थियों को कुल पाँच प्रश्न करने हैं प्रश्न एक एवं छः अनिवार्य है। इसके अतिरिक्त तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिये जिनमें प्रत्येक खण्ड से एक प्रश्न करना आवश्यक है।

(ii)    सभी प्रश्नों के अंक समान हैं।

FIRST PAPER

खण्ड-अ (Section-A)

1.    निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पर टिप्पणियाँ लिखिये, जिनमें प्रत्येक 200 शब्दों से अधिक की न हो:

(क) प्राकृतिक अवस्था सबके साथ सबका युद्ध है। (हॉब्स)

(ख) राज्य वर्ग संघर्ष की असाम्यता का परिणाम है। (लेनिन)

(ग) राज्य पृथ्वी पर ईश्वर का आगमन है। (हीगल)

(घ) राज्य व्यक्ति का वृहत्तम स्वरूप है। (प्लेटो)

2.    राजनीतिशास्त्र के अध्ययन के लिये कौन सी विविध पद्धतियाँ हैं ? उनका मूल्यांकन कीजिये।

3.    मैकियावली का दर्शन ‘राज्य के सिद्धान्त की अपेक्षा राज्य की सुरक्षा का सिद्धान्त है। व्याख्या कीजिये।

4.    “स्वतन्त्रता और समानता एक दूसरे के पूरक हैं। क्योंकि समानता के बिना स्वतंत्रता संभव नहीं है। इस वक्तव्य की विवेचना कीजिये।

5.    प्लेटो का रिपब्लिक “विश्व विद्यालय, परिवार और चर्च है। स्पष्ट कीजिए

खण्ड-ब (Section-B)

6.    निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिये

(क) “वेबर का नौकरशाही का सिद्धान्त”

(ख) “न्यायिक सक्रियतावाद”

(ग) “भारतीय राजनीति में दबाव गुटों की भूमिका

7.    के. सी. व्हीयर के कथन कि भारत पूरक संघात्मक लक्षणों सहित एक एकात्मक राज्य है न कि पूरक एकात्मक लक्षणों सहित संघात्मक राज्य का, आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये।

8:    भारत के सर्वोच्च न्यायालय की संविधान के संरक्षक एवं अधिकारों के रक्षक के रूप में भूमिका का वर्णन कीजिये।

9.    भारतीय राजनीति दलीय व्यवस्था के उभरते स्वरूप का वर्णन कीजिए तथा उनके भीतर क्रियाशील हित-समूहों की विवेचना कीजिए।

10.   पण्डित नेहरू ने किन सिद्धान्तों के आधार पर राष्ट्रीय मतैक्य स्थापित किया था। क्या आज की परिस्थिति में वे सिद्धान्त प्रासंगिक हैं?

POLITICAL SCIENCE & INTERNATIONAL RELATIONS -2002

नोट :-

(i)    कुल पाँच प्रश्नों के उत्तर दीजिये जिनमें से प्रत्येक खण्ड से कम से कम दो प्रश्न हो।

(ii)    सभी प्रश्नों के अंक समान हैं।

SECOND PAPER

खण्ड-अ (Section-A)

1.    समकालीन अन्तर्राष्ट्रीय व्यवस्था में ‘राष्ट्रीय-राज्य के पराभव की विवेचना कीजिये।

2.    क्या आप सहमत हैं कि वर्तमान अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में ‘विचारधाराओं की भूमिका ने अपनी प्रासंगिकता खो दी है ? विवेचन कीजिये।

3.    विश्व शान्ति के एजेण्डा में संयुक्त राष्ट्र की अभिनव भूमिका की विवेचना कीजिये।

4.    21वीं शताब्दी में नयी अन्तर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के महत्व का विश्लेषण कीजिये।

खण्ड-ब (Section-B)

5.    पश्चिम एशिया के प्रति संयुक्त राज्य अमेरिका की वर्तमान विदेश नीति का विवेचन कीजिये।

6.    भारत तथा संयुक्त राज्य अमेरिका के सम्बन्धों की अभिनव प्रवृत्तियों का परीक्षण कीजिये।

7.    भारत तथा बांग्लादेश के बीच टकराव के प्रमुख मुद्दों का विवेचन कीजिये।

8.    दक्षिण एशिया के प्रति चीन की विदेश नीति का विवेचन कीजिए।

POLITICAL SCIENCE & INTERNATIONAL RELATIONS-2003

नोट :-

(i)    कुल पाँच प्रश्नों के उत्तर दीजिए जिनमें से प्रत्येक खण्ड से कम से कम दो प्रश्न हों।

(ii)    सभी प्रश्नों के अंक समान हैं।

FIRST PAPER

खण्ड-अ (Section-A)

1.    निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पर टिप्पणियाँ लिखिए, जिनमें प्रत्येक 200 शब्दों से अधिक न हो:

(अ)   “सन्त थॉमस एक्विनाज एक ईसाई अरस्तू था।”

(ब)   “रूसो, लॉक के निष्कर्षों को हॉब्स की मनोदशा के साथ जोड़ता है।

(स)   “प्लेटो का दार्शनिक राजा न तो बाद में जोड़ा गया है और न ही वह कोई अतिरिक्त विचार है, वह तो उसके तर्क की चरम परिणति है।”

(द)    बेन्थम का उपयोगिता का सिद्धान्त।

2.    सम्प्रभुता के बहुलवादी सिद्धांत का परीक्षण कीजिए।

3.    लोकतंत्र के सिद्धान्तों पर एक आलोचनात्मक टिप्पणी लिखिए।

4.    “न्याय” और “समानता” की अवधारणाओं का मूल्यांकन व्यक्ति के प्राकृतिक अधिकारों के रूप में कीजिए।

खण्ड-ब (Section-B)

5.    निम्नलिखित पर टिप्पणियाँ लिखिए

(अ)   राजनीतिक संस्कृति और विकास

(ब)   न्यायपालिका-एक तृतीय सदन के रूप में।

(स)   भारत में आतंकवाद एवं ‘लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण

6.    भारत में गठबंधन सरकार की संसदीय और असंसदीय विशेषताओं की विवेचना करते हुए देश में सहकारी संघवाद के विकास में उसकी भूमिका समझाइये।

7.    भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को महात्मा गांधी का योगदान समझाते हुए जिन्ना और अम्बेदकर के साथ उनके मतभेदों पर टिप्पणी कीजिए।

8.    उत्तर प्रदेश की चुनावी राजनीति में जातीय समीकरणों पर एक निवन्ध लिखिए।

POLITICAL SCIENCE & INTERNATIONAL RELATIONS-2003

नोट :-

(i)    कुल पाँच प्रश्नों के उत्तर दीजिए जिनमें से प्रत्येक खण्ड से कम से कम दो प्रश्न हों।

(ii)    सभी प्रश्नों के अंक समान हैं।

SECOND PAPER

खण्ड-अ (Section-A)

1.    अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के अध्ययन हेतु मार्टन कॉपलान द्वारा प्रयुक्त व्यवस्था सिद्धान्त का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।

2.    ‘शक्ति-सन्तुलन’ सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए। क्या यह कहना सत्य है कि शक्ति-संतुलन अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों का आधारभूत तत्त्व है ?

3.    गुट-निरपेक्षता के उद्देश्य तथा सिद्धान्त क्या हैं ? गुट निरपेक्षता के बदलते स्वरूप की व्याख्या कीजिए।

4.    तनाव-शैथिल्य, निःशस्त्रीकरण और विकास अन्योन्याश्रित स्थितियाँ हैं. व्याख कीजिए और उदाहरण दीजिए।

खण्ड-ब (Section-B)

5.    शीत युद्ध की समाप्ति के बाद एशिया में संयुक्त राज्य अमेरिका की विदेश नीति का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।

6.    भारत की विदेश नीति के निर्धारक तत्त्व क्या हैं ? विगत दशक में भारत के विदेश नीति के कार्यान्वयन पर एक आलोचनात्मक टिप्पणी लिखिए।

7.    उत्तर-दक्षिण संवाद तथा दक्षिण-दक्षिण सहयोग के संदर्भ में अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों में तीसरी दुनिया की भूमिका की विवेचना कीजिए।

8.    भारत-रूस तथा भारत-चीन के संबंधों की अभिनव प्रवृत्तियों का परीक्षण कीजिए

POLITICAL SCIENCE & INTERNATIONAL RELATIONS-2004

नोट :

(i)    कुल पाँच प्रश्नों के उत्तर दीजिये जिनमें से प्रत्येक खण्ड से कम से कम दो प्रश्न हों।

(ii)    सभी प्रश्नों के अंक समान हैं।

FIRST PAPER

खण्ड-अ (Section-A)

1.    निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पर टिप्पणियाँ लिखिये, जिनमें से प्रत्येक 200 शब्दों से अधिक न हो:

(अ)   “प्लेटो का रिपब्लिक एक विश्वविद्यालय, एक परिवार और एक चर्च है।” स्पष्ट -कीजिये।

(ब)   क्या कौटिल्य और मैकियावेली नैतिकता-विरोधी थे? समझाइये।

(स)   रूसों की सामान्य इच्छा सम्बन्धी धारणा ।

(द)    जे०एस० मिल के स्वतन्त्रता सम्बन्धी विचार।

2.    “हॉब्स का दर्शन तर्कशास्त्र की अति उत्कृष्ट कृति है, जिसकी निर्माण-शैली में प्रत्येक पद पिछले पद पर आधारित है।” उपरोक्त कथन को ध्यान में रखते हॉब्स के राजनैतिक चिन्तन को स्पष्ट कीजिये।

3.    क्या आधुनिक समय में राज्य की सम्प्रभुता की अवधारणा अपना महत्व खो चुकी है समझाइये।.

4.    इक्कीसवीं सदी में मार्क्सवाद की प्रासंगिकता पर अपने विचार लिखिये।

खण्ड-ब (Section-B)

5.    निम्नलिखित पर टिप्पणियाँ लिखिये :

(अ)   आधुनिकता तथा उत्तर आधुनिकता के अर्थ।

(ब)   राजनीति और जाति।

(स)   भारत में राष्ट्र-निर्माण की समस्या।

6.    भारतीय लोकतंत्र के समक्ष प्रमुख चुनौतियाँ,

7.    भारतीय संविधान संसदीय तथा संघीय शासन-सिद्धान्तों का किस प्रकार मिश्र और समन्वयन करता है ? पूर्णतर व्याख्या करें।

8.    भारत में पंचायती राज विषय पर एक निबन्ध लिखिये।

POLITICAL SCIENCE & INTERNATIONAL RELATIONS-2004

नोट :-

(i)    कुल पाँच प्रश्नों के उत्तर दीजिए जिनमें से प्रत्येक खण्ड से कम से कम दो प्रश्न हों।

(ii)    सभी प्रश्नों के अंक समान हैं।

SECOND PAPER

खण्ड-अ (Section-A)

1.    “वैज्ञानिक उपागम, जिसे हाल के वर्षों में विकसित किया गया है, अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति के अध्ययन के लिए अपर्याप्त है।”

इस कथन के आलोक में अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति के अध्ययन में वैज्ञानिक उपागम के प्रयोग के बारे में हेडले बुल के विचारों का परीक्षण कीजिये।

2.    उन कारकों का परीक्षण कीजिये जिन्होंने राजनय की गति व प्रकृति को बड़े पैमाने पर बदल      दिया है।

3.    उपयुक्त उदाहरणों की सहायता से आर्थिक विकास तथा शान्ति संवर्द्धन में क्षेत्रीय संगठनों की भूमिका का परीक्षण कीजिये।

4.    नि:-शस्त्रीकरण तथा शस्त्र नियंत्रण में भेद कीजिये। क्या निःशस्त्रीकरण अभी । एक मिथक है ? तर्क दीजिये।

खण्ड-ब (Section-B)

5.    द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात, संयुक्त राज्य अमेरिका की गठबंधन (alliance), सहायत्म (assistance) की विदेश नीति का विश्लेषण कीजिये।

6.    भारत-पाकिस्तान सम्बन्धों की अभिनव प्रवृत्तियों का परीक्षण कीजिये।

7.    दक्षिण एशिया के प्रति संयुक्त राज्य अमेरिका तथा रूस की विदेश नीति के उद्देश्यों की विवेचना कीजिये।

8.    शीत युद्ध काल के उपरान्त हिन्द महासागर को शांति क्षेत्र बनाने में इसके तटवर्ती देशों की भूमिका का आकलन कीजिये।

POLITICAL SCIENCE & INTERNATIONAL RELATIONS-2005

नोट-

(i)    कुल पाँच प्रश्नों के उत्तर दीजिए, जिनमें से प्रत्येक खण्ड से कम से कम दो प्रश्न हों।

(ii)    सभी प्रश्नों के अंक समान हैं।

FIRST PAPER

खण्ड-अ (Section-A)

1.    निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पर टिप्पणियाँ लिखिए, जिनमें से प्रत्येक 200 शब्दों से अधिक न हो:

(अ)   “पूरे समाज में एक ऐसी प्रक्रिया स्पष्टतः दिखलाई देती है जिससे मूल्यों का बाधतापूर्वक आवंटन किया जाता है। – ईस्टन

(ब)    “जब तक दार्शनिक राजा नहीं होंगे अथवा दुनिया के राजा और राजकुमार दर्शन की शक्ति और आत्मा से अनुप्राणित नहीं होंगे राज्यों से तथा मानव जाति से दुर्गुणों का अन्त नहीं होगा। -प्लेटो

(स) ‘  मनुष्य की चेतना उसके अस्तित्व का निर्धारण नहीं करती किन्तु इसके विपरीत मनुष्यों का सामाजिक अस्तित्व उनकी चेतना का निर्माण करता है। -मार्क्स

(द)    “प्रकृति ने मानव जाति को प्रसन्नता और पीड़ा नामक दो सार्वभौम स्वामियों के शासन में स्थापित किया है। एक ओर सही गलत के मापदण्ड और दूसरी ओर कारणों और प्रभावों की श्रृंखला इनके सिंहासन से बंधी हुई है।

2.    एक लोकतान्त्रिक समग्रता में हमें तीन विभिन्न तत्त्वों में अन्तर करना चाहिए

(अ)   एक ऐसी वास्तविकता, जिसमें अभिजन वर्ग त्वरित गति से चक्रित होता रहता है।

(ब)    एक ऐसी आकांक्षा, जिसे समानता कहा जा सकता है और

(स)   एक ऐसी गलतफहमी, जो जनता की प्रत्यक्ष सरकार के रूप में विज्ञापित की जाती है

-एफ0 बुर्जियो    सोदाहरण विवेचना कीजिए।

3.    निम्नलिखित अवधारणाओं का परीक्षण कीजिए

(अ)   स्वतंत्रता ही विकास है।                              (अमृत्य सेन)

(ब)    केवल समानता ‘न्याय’ नहीं ला सकती।            (जॉन राल्स)

4.    सामाजिक समझौते के सैद्धान्तिक घेरे में मानव प्रकृति, सिविल समाज और सार्वभौमिकता एवं अधिकारों के अन्तर सम्बन्धों को समझने का जो प्रयास पाश्चात्य राजनीतिक दर्शन में हुआ है, उसे समझाकर लिखिये।

खण्ड-ब (Section-B)

5.    निम्नलिखित पर टिप्पणियों लिखिए :

(अ) राजनीतिक विकास के लिए अनुकूल राजनीतिक संस्कृति

(ब) ‘सत्य’ की गाँधीय अवधारणा

(स) भारतीय न्यायपालिका एक तीसरे सदन के रूप में

6.    संघवाद की सैद्धान्तिक तत्त्ववादी विवेचना करते हुए भारत के त्रिस्तरीय संघवाद का योगदान मूल्यांकित कीजिए।

7.    “भारत की गठबन्धन राजनीति ने इंग्लैण्ड की वैस्ट मिनिस्टर संसदीय व्यवस्था को एक ईस्ट मिनिस्टर संसदीयता में बदल दिया है। क्यों और कैसे?

8.    दो दो सुझाव देते हुए अपने तर्क प्रस्तुत कीजिए :

(अ) भारत में नौकरशाही का नया स्वरूप।

(ब) भारत में पंथ निरपेक्ष समाज का शुद्धीकरण।

POLITICAL SCIENCE & INTERNATIONAL RELATIONS-2005

नोट-

(i)    कुल पाँच प्रश्नों के उत्तर दीजिए, जिनमें से प्रत्येक खण्ड से कम से कम दो प्रश्न हों।

(ii)    सभी प्रश्नों के अंक समान हैं।

SECOND PAPER

खण्ड-अ (Section-A)

1.    अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में निर्णय निर्माण के सिद्धान्त का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये। वैश्विक राजनीति के परिवर्तित होते हुए आयामों को समझने में यह कहाँ तक सहायक है?

2     ‘नव अंतर्राष्ट्रीय यथार्थ में विचारधारा ने शायद ही कोई भूमिका निभाई। इस कथन के परिप्रेक्ष्य में विदेश नीति निर्धारण में विचारधारा की परिवर्तित होती हुई भूमिका का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये।

3.    ‘आतंक के संतुलन ने शक्ति-संतुलन को विस्थापित कर दिया है। दुर्भाग्यवश कोई शक्ति संतुलन था ही नहीं। इस कथन की आलोचनात्मक समीक्षा कीजिये।

4.    तनाव शैथिल्य एवं निःशस्त्रीकरण एक दूसरे पर आश्रित हैं। उपयुक्त उदाहरणो सहित व्याख्या कीजिये।

खण्ड-ब (Section-B)

5.    माओ के बाद चीन की विदेश नीति में दक्षिण एवं दक्षिण पूर्व एशिया के प्रति आये परिवर्तनों का विश्लेषण कीजिये। क्या यह परिवर्तन चीन की विदेश नीति में विचारधारा के तिरोहित होने का प्रतीक है ? मूल्यांकन करते हुए स्पष्ट कीजिये।

6.    ‘भारत की विदेश नीति बदलती हुई अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के अनुरूप स्वयं को ढाल सकती है। विवेचना कीजिये।

7.    ‘नेपाल ने अपनी हित-पूर्ति हेतु चीन का भारत के विरुद्ध सफलता पूर्वक उपयोग किया है। इस कथन के परिप्रेक्ष्य में नेपाल के साथ भारत के सम्बन्धों का मूल्यांकन कीजिये।

8.    ‘दक्षेस एक मृगतृष्णा (भ्रम) के समान है। व्याख्या कीजिये और इस (दक्षेस को) प्रभावी बनाये जाने हेतु उपयुक्त सुझाव दीजिये।

POLITICAL SCIENCE & INTERNATIONAL RELATIONS-2006

नोट :-

(i)    कुल पाँच प्रश्नों के उत्तर दीजिए जिनमें से प्रत्येक खण्ड से कम से कम दो प्रश्न हों।

(ii)    सभी प्रश्नों के अंक समान हैं।

FIRST PAPER

खण्ड-अ (Section-A)

1.    निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पर टिप्पणियाँ लिखिए, जिनमें से प्रत्येक 200 शब्दों से अधिक न हो

(क)   “कौटिल्य मात्र एक कूटनीतिज्ञ ही नहीं था बल्कि राजनीति की पाठशाला का संस्थापक भी था                                                      -ए० एस० अल्टेकर

(ख)   “जिसको अरस्तू आदर्श राज्य कहता है वह प्लेटो का दूसरे दर्जे का श्रेष्ठ राज्य                                                                     -सेवाइन.

(ग)   “मैकियावेली स्पष्टदर्शी तो था, परन्तु वह दूरदर्शी नहीं था। उसने.इस दृष्टिकोण से वस्तुओं को देखने का प्रयास नहीं किया कि उन्हें कैसा होना चाहिए। उसने उन्हें सदा उनके यथार्थ रूप में देखा…..उसने चालाकी. या धूर्तता, को एक-राजनीतिज्ञ की कला मान लेने की भूल की।”                                                  -मरे.

2.    निम्नलिखित का आलोचनात्मक विवेचन कीजिए-

(क)   प्रजातंत्र का नव-उदारवादी सिद्धान्त

(ख)   मैक्स येवर का राजनीतिक वैधता विश्लेषण

(ग)   जे० एस० मिल के स्वतन्त्रता सम्बंधी विचार

3.    किन्हीं दो की व्याख्या करते हुए उनका मूल्यांकन कीजिए-

(क)   राजनीतिक आधुनिकीकरण एवम सामाजिक परिवर्तन

(ख)   राजनीतिशास्त्र का व्यवहारवादी उपागमः और.

(ग)   न्याय के समाजवादी सिद्धांत

4.    यह कहना कहाँ तक न्यायोचित है कि ‘एकलवाद एक हानिकर अथवा व्यर्थ सिद्धान्त है इस कथन के आलोक में सम्प्रभुता के बहुलवादी सिद्धान्त का परीक्षण कीजिए

Section-B (खण्ड-ब)

5.    निम्नलिखित पर टिप्पणियों लिखिए

(क)   अनुच्छेद 356 और राज्यों की स्वायत्तता:

(ख)   न्यायिक सक्रियता और संसद की सर्वोच्चता; तथा

(ग)   विकास-प्रशासन में नौकरशाही की भूमिका

6.    स्पष्ट रूप से व्याख्या कीजिए

(क)   राष्ट्रवाद के विकास और स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष में तिलक की भूमिका तथा

(ख)   भारतीय संविधान के निर्माण और सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष में- बी० आर० अम्बेडकर की भूमिका ।

7.    भारत में प्रधानमन्त्रीय सरकार का तेजी से विकास हुआ है। उभरती गठबन्धन की राजनीति और प्रधानमन्त्री की सत्ता में आप किस प्रकार समन्वय करेंगे?

8.    निम्नलिखित की व्याख्या कीजिए :

(क)   भारत की राजनीति में जाति की बढ़ती भूमिका, तथा

(ख)   भारत में क्षेत्रवाद और क्षेत्रीय राजनीतिक दल

POLITICAL SCIENCE & INTERNATIONAL RELATIONS-2006

नोट :-

(i)    किन्ही पाँच प्रश्नों के उत्तर दीजिए | प्रत्येक खण्ड से दो प्रश्नों का उत्तर देना अनिवार्य है |

(ii)    सभी प्रश्नों के अंक समान हैं।

SECOND PAPER

Section-A (खण्ड-अ)

1.    प्रो० हैन्स मोर्गनथाऊ अपने यथार्थवादी सिद्धान्त के परिप्रेक्ष्य में आज की अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति को किस प्रकार विश्लेषित करेंगे? इस यथार्थवाद की सीमायें समझाइये।

2.    राष्ट्रीय शक्ति और विचारधारा आज के राष्ट्रीय हित का निर्माण नहीं करते, किन्तु शक्ति संतुलन विदेश नीति चयन में प्रासंगिक है।” सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।

3.    संयुक्त राष्ट्र संघ में अन्तर्राष्ट्रीय विधि के विकास में यहुरा कम योगदान दिया है। और राजनय की भूमिका भी घटती जा रही है। क्या आप सहमत है ?

4.    किन्हीं दो पर सक्षिप्त टिपणी लिखिये:

(क) नव अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था का भविष्य ।          

(ख) क्षेत्रीय संगठनों की दुर्बलताये।

(ग) नव उपनिवेशवाद का यदलता स्वरूप।       

(घ) भारत अमेरिकी परमाणु समझौता।

Section-B (खण्ड-ब)

5.    “तीसरी दुनियाँ एक गलत नामकरण है। अन्तर्राष्ट्रीय सम्बंधों में इसकी भूमिका अब समाप्त हो चुकी है।” विवेचना कीजिये।

6.    “चीन भारत के लिए केवल एक पड़ोसी से अधिक है। उक्त कथन के प्रकाश मे भारत और उसके पड़ोसियों के साथ सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।

7.    1990 से 2007 तक के रूस-चीन सम्बन्धों की समीक्षा कीजिए।

8.    किन्हीं दो पर संक्षिप्त लिखिये :

(क)   अमेरिका और इराक संकट        

(ख)   दक्षिण-दक्षिण सहयोग

(ग)   इस्लामी राजनीति में ईरान, पाकिस्तान और अफगानिस्तान

(घ)   हिन्द महासागर की समस्याओं के प्रति भारत की विदेश नीति.

POLITICAL SCIENCE & INTERNATIONAL RELATIONS2007

नोट :-

(i)    कुल पाँच प्रश्नों के उत्तर दीजिए जिनमें से प्रत्येक खण्ड से कम से कम दो प्रश्न हों।

(ii)    सभी प्रश्नों के अंक समान हैं।

FIRST PAPER

खण्ड-अ (Section-A)

1.    निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पर टिप्पणियाँ लिखिये जिनमें से प्रत्येक 200 शब्दों से अधिक न हो।

(अ)   “एक आनुभाविक खोज के रूप में राजनीति विज्ञान शक्ति के निर्धारण और साझेदारी का अध्ययन है।”                                         -लासवेल और केपलान।

(ब)   “अपने शरीर एवं मस्तिष्क के ऊपर व्यक्ति सम्प्रभु है।”         -जे० एस० मिल ।

(स)   “राज्य व्यक्ति का पूर्ववर्ती है।”                                         -अरस्तू ।

(द)    “मनुष्य स्वतंत्र जन्म लेता है और वह सर्वत्र बंधनों में आबद्ध है।”                   रूसो।

2.    “मूल्यों के सत्तात्मक आबंटन” की दृष्टि से डेविड ईस्टन की राजनीतिक व्यवस्था की अवधारणा का परीक्षण कीजिये।

3.    जनतंत्र के अभिजनवादी सिद्धान्त की विवेचना कीजिये।

4.    हॉब्स के राजनीतिक चिन्तन के सम्बन्ध में सेबाइन के निम्नलिखित कथन का परीक्षण कीजिये

“सम्प्रभु की निरपेक्ष शक्ति-वस्तुतः उसके व्यक्तिवाद की आवश्यक पूरक थी।

Section – B/ खण्ड-ब

5.    निम्नलिखित पर टिप्पणियाँ लिखिये

(अ)   “राजनीतिक दलों के अस्तित्व के अभाव में संसदीय प्रणाली का कार्यसंचालन असम्भव होगा।”                                                       – लीकॉक।

(ब)   “राजनीतिक संस्कृति राजनीतिक व्यवस्था के सदस्यों के मध्य राजनीति के प्रति व्यक्ति की अभिवृत्तियों और अभिविन्यासों का प्रतिमान है।”              – आमण्ड और पावेल

(स)   “भारतीय संविधान को संघात्मकता के तंग ढाँचे में नहीं ढाला गया है।”      – अम्बेडकर

6.    यह कहना कहाँ तक सत्य है कि “गाँधीजी एक व्यवहारिक आदर्शवादी थे” ? इस सम्बन्ध में अपना      मत दीजिए।

7.    लोकतांत्रिक विकेन्द्रीकरण से आप क्या समझते हैं? भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में इस दिशा       में निकटतम अतीत में क्या प्रयास किये गये हैं ? इन प्रयासों द्वारा विकासशील प्रशासन के लक्ष्यों       को प्राप्त करने में कहाँ तक सफलता प्राप्त हुई है।

8.    सुझाव देते हुए अपने तर्क प्रस्तुत कीजिए :

(अ)   भारतीय राजनीति में उभरता नया राजनीतिक वर्ग

(ब)   चुनावी राजनीति में हिंसा

POLITICAL SCIENCE & INTERNATIONAL RELATIONS-2007

नोट :-

(i)    कुल पाँच प्रश्नों के उत्तर दीजिए जिनमें से प्रत्येक खण्ड से कम से कम दो प्रश्न हों।

(ii)    सभी प्रश्नों के अंक समान हैं।

SECOND PAPER

Section-A (खण्ड-अ)

1.    अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति के अध्ययन सम्बन्धी व्यवस्था सिद्धान्त का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।

2.    ‘न्याय का अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय की शक्तियों तथा क्षेत्राधिकार का विश्लेषण कीजिए तथा संयुक्त राष्ट्र संघ के उद्देश्यों की प्राप्ति में उसके योगदान पर प्रकाश डालिए।

3.    ‘नयी अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था का क्या अर्थ है ? इसके भविष्य की सम्भावनाओं को इंगित कीजिए।

4.    किन्हीं दो पर टिप्पणी लिखिए :

(अ)   अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों में ‘आसियान’ की भूमिका

(ब)   विदेशनीति में विचारधारा की भूमिका

(स)   वर्तमान विश्व व्यवस्था में ‘यूरोपीय आर्थिक समुदाय (EEC)

Section -B/ खण्ड-ब

5.    शीत युद्धोत्तर काल में पश्चिम एशिया के प्रति संयुक्त राज्य अमेरिका की विदेश नीति का परीक्षण कीजिए तथा इस क्षेत्र में शान्ति की सम्भावनाओं का आकलन कीजिए।

6.    शीत युद्ध की समाप्ति के बाद भारतीय विदेशनीति में होने वाले प्रमुख परिवर्तनों एवं निरन्तरताओं को इंगित कीजिए।

7.    नेपाल में माओवादी सरकार की स्थापना के पश्चात् भारत-नेपाल सम्बन्धों का परीक्षण कीजिए।

8.    किन्हीं दो पर टिप्पणी लिखिए

(अ)   संयुक्त राज्य अमेरिका-चीन सम्बन्ध

(ब)   दक्षिण एशिया में तालिबान की राजनीति के कारण उत्पन्न संघर्ष

(स)   हिन्द महासागर का भू-राजनीतिक परिप्रेक्ष्य एवं भारत की सुरक्षा पर उसका प्रभाव

POLITICAL SCIENCE & INTERNATIONAL RELATIONS- 2008

नोट :-

(i)    कुल पाँच प्रश्नों के उत्तर दीजिए जिनमें से प्रत्येक खण्ड से कम से कम दो प्रश्न हों।

(ii)    सभी प्रश्नों के अंक समान हैं।

FIRST PAPER

खण्ड-अ (Section-A)

1.    निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पर टिप्पणियाँ लिखिए, जिनमें से प्रत्येक 200 शब्दों से अधिक न होः

(क)   “न्याय एक ऐसी कड़ी है जो समाज के तंतुओं को व्यक्ति के साथ सामंजस्यपूर्ण ढंग से संयुक्त करती है जिनमें से प्रत्येक व्यक्ति) ने अपने प्राकृतिक रूझान और प्रशिक्षण के अनुसार जीवन के कार्य को ढूँढ लिया होता है।                           -प्लेटो

(ख)   “सामान्य इच्छा जहाँ सामान्य है वहाँ इच्छा नहीं है और जहाँ है वहाँ सामान्य नहीं है।”                                                                            -रूसो

(ग)   “राजनीतिक सिद्धान्त में लॉक का सर्वप्रमुख. अनुदान है- प्राकृतिक अधिकारों का              सिद्धान्त                                                          -डनिंग

(घ)   “शक्ति को शक्ति द्वारा नियन्त्रित किया जाना चाहिए।”                    -माण्टेस्क्यू

2.    कौटिल्य व मेकियावेली के विचारों का तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत कीजिये।

3.    आस्टिन के सम्प्रभुता सिद्धान्त की चहुलवादी विधारकों ने किन आधारों पर आलाना की है?

4.    सोवियत संघ का विघटन मार्क्सवाद के ऊपर उदारवाद की विजय को चिन्हित करता है। क्या       आप इस मत से सहमत हैं ? तर्कसंगत उत्तर दीजिए।

Section-B (खण्ड-ब)

5.    भारतीय संसदात्मक शासन कार्यप्रणाली में व्याप्त दोषों को देखते हुए क्या अध्यक्षात्मक शासनप्रणाली भारतीय राजनैतिक व्यवस्था के लिए उपयोगी सिद्ध होगी? तर्कसम्मत उत्तर लिखिए।

6.    वर्तमान युग में महात्मा गाँधी के विचारों की प्रासंगिकता पर एक निवन्ध लिखिए।

7.    राजनीतिक संस्कृति की अवधारणा को समझाते हुए भारतीय राजनीतिक वर्ग की विशेषताओं पर प्रकाश डालिये।

8.    किन्हीं दो पर टिप्पणी लिखिये

(अ)   भारतीय राजनीति में सम्प्रदायवाद

(ब)   बाबा साहेब अम्बेडकर का राजनीतिक सुझाव

(स)   भारतीय राजनैतिक दलों का स्वरूप

POLITICAL SCIENCE & INTERNATIONAL RELATIONS-2008

नोट :-

(i)    कुल पाँच प्रश्नों के उत्तर दीजिए जिनमें से प्रत्येक खण्ड से कम से कम दो प्रश्न हों।

(ii)    सभी प्रश्नों के अंक समान हैं।

SECOND PAPER

Section-A (खण्ड-अ)

1.    निर्णयन सिद्धान्त के विश्लेषणात्मक रूपांकन को समझाइए। क्या यह राज्यों के वैदेशिक व्यवहार का पर्याप्त स्पष्टीकरण प्रस्तुत करता है ? समुचित कारणों सहित अपना उत्तर दीजिए।

2.    अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में राजनय’ की भूमिका की विवेचना कीजिए। समसामयिक काल में इसके समक्ष क्या चुनौतियाँ आ रही हैं ?

3.    नाभिकीय निःशस्त्रीकरण की दिशा में किए गए प्रयासों की समीक्षा कीजिए। समसामयिक काल में इसके समक्ष आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालिए।

4.    क्या आप सहमत हैं कि सोवियत संघ के विघटन के साथ शीत-युद्ध की समाप्ति के संदर्भ में गुट-निरपेक्ष आन्दोलन ने अपनी प्रासंगिकता खो दी है ? कारण सहित अपने उत्तर दीजिए।

Section -B/ खण्ड-ब

5.    1990 से परिवर्तित अन्तर्राष्ट्रीय परिवेश में दक्षिण-पूर्व एशिया के प्रति अमेरीकी विदेश नीति का परीक्षण कीजिए।

6.    भारत-चीन सम्बन्धों की वर्तमान स्थिति की समीक्षा कीजिए तथा बताइए कि तुलनात्मक रूप से भू-सामरिक एवं भू-आर्थिक हितों को कितना महत्त्व दिया जा रहा है?

7.    दक्षिण एशिया में विभिन्न प्रकार के संघर्षों की प्रकृति का परीक्षण कीजिए। दक्षिण एशियाई सहयोग संगठन (दक्षेस) के लक्ष्यों की प्राप्ति में ये संघर्ष कहाँ तक बाधक

8.    दक्षिण-दक्षिण सहयोग की सीमाओं और चुनौतियों का विश्लेषण कीजिए।

POLITICAL SCIENCE & INTERNATIONAL RELATIONS-2008

नोट :-

(i)    कुल पाँच प्रश्नों के उत्तर दीजिए जिनमें से प्रत्येक खण्ड से कम से कम दो प्रश्न हों।

(ii)    सभी प्रश्नों के अंक समान हैं।

FIRST PAPER

खण्ड-अ (Section-A)

1.    निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पर टिप्पणियाँ लिखिये, जिनमें से प्रत्येक 200 शब्दों से अधिक न हो

(अ)   “राज्य व्यक्ति का वृहद स्वरूप है।”                                      (प्लेटो)

(ब)   “राज्य के किसी भी सिद्धान्त को उसके समय के परिप्रेक्ष्य को जाने बिना समझा नहीं जा सकता।”

(स)   “आदर्श राज्य के आदर्श कानूनों का पूर्ण स्वैच्छिक अनुपालन ही पूर्ण स्वतन्त्रता है।”                                                                                 (हीगल)

(द)    “एक सन्तुष्ट सूअर होने से एक असन्तुष्ट मनुष्य होना बेहतर है; एक सन्तुष्ट मूर्ख से एक असन्तुष्ट सुकरात होना बेहतर है।”                             (जॉन स्टुअर्ट मिल)

2.    जॉन राल्स के न्याय सिद्धान्त को संक्षेप में समझाइए। उसकी रॉबर्ट नॉज़िक तथा अमर्त्य सेन के न्याय सिद्धान्तों से तुलना करें।

3.    क्या आप मार्क्स के इस कथन से सहमत हैं कि पूँजीवादी व्यवस्था में राज्य पूँजीपतियों के सामूहिक हितों की देख-रेख करने वाली एक समिति है। अपनी सहमति या असहमति के कारणों को बताइए।

4.    सी० बी० भैवफर्सन के लोकतान्त्रिक सिद्धान्त की आलोचनात्मक विवेचना कर।

(खण्ड-ब) Section-B

5.    केशवानन्दं भारती मुकंदमे में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रतिपादित ‘संविधान के मूल ढाँचे के सिद्धान्त क्या है ? इसने भारत में व्यवस्थापिका-न्यायपालिका सम्बन्धों को कैसे प्रभावित किया है?

6.    भारत के सीमावर्ती राज्यों में बढ़ रही राजनैतिक हिंसा यह दिखाती है कि भारतीय, संघीय व्यवस्था ठीक से काम नहीं कर रही है। क्या आप इस बात से सहमत हैं? अपने उत्तर को उदाहरण सहित स्पष्ट करें।

7.    विकासशील देशों की राजनीति में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की भूमिका की आलोचनात्मक व्याख्या करें।

8.    निम्न में से किन्हीं दो पर टिप्पणी लिखें:

(अ)   भारतीय राजनीति में सोशल इन्जीनियरिंग’

(य)   इन्द्रधनुषीय गठबन्धन व सैण्डविच गठबन्धन

(स)   नक्सलवाद

(द)    “हिंद स्वराज’ में आधुनिकता की आलोचना

POLITICAL SCIENCE & INTERNATIONAL RELATIONS-2008

नोट :-

(i)    कुल पाँच प्रश्नों के उत्तर दीजिए जिनमें से प्रत्येक खण्ड से कम से कम दो प्रश्न हों।

(ii)    सभी प्रश्नों के अंक समान हैं।

SECOND PAPER

Section-A (खण्ड-अ)

1.    विदेशी नीति के एक कारक के रूप में राष्ट्रीय हित की विवेचना कीजिए तथा इसके निर्धारकों की समीक्षा कीजिए।

2.    तनाव शैथिल्य के आविर्भाव के उत्तरदायी कारणों की विवेचना कीजिए। किस रूप में इसने अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति को प्रभावित किया?

3.    “शान्ति के लिए एकता प्रस्ताव युद्ध के लिए विभा’ था। इस कथन के संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र संघ की सामान्य सभा के कार्यों, क्षेत्राधिकार एवं स्थिति का मूल्यांकन कीजिए।

4.    उन परिस्थितियों का उल्लेख कीजिए जिनके कारण आसियान (ASEAN) का निर्माण हुआ। अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों में इसकी भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।

खण्ड-ब (Section-B)

5.    वर्तमान में दक्षिण एशिया के प्रति संयुक्त राज्य अमेरिका की विदेश नीति का परीक्षण कीजिए तथा इस क्षेत्र में बढ़ते आतंकवाद के सदर्भ में प्रतिआतंकवादी उपायों की उसकी भूमिका का आकलन कीजिए।

6.    वर्तमान संदर्भ में भारतीय विदेश नीति के प्रमुख आधारों की समीक्षा कीजिए तथा समझाइये कि भारत के लिए गुट-निरपेक्षता अभी भी क्यों प्रासंगिक है।

7.    चीन की विदेश नीति की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए एवं इसकी अभिनव प्रवृत्तियों को समझाइये।

8.    किन्हीं दो पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखिए

(अ)   दक्षिण एशिया में विद्यमान संघर्षों की प्रकृति

(ब)   भारत-बंग्लादेश सम्बन्धों का वर्तमान परिप्रेक्ष्य

(स)   रूस एवं केन्द्रीय एशिया का राजनीतिक परिदृश्य

(द)    समकालीन विश्व व्यवस्था की प्रकृति

POLITICAL SCIENCE & INTERNATIONAL RELATIONS-2009

नोट :-

(i)    कुल पाँच प्रश्नों के उत्तर दीजिए जिनमें से प्रत्येक खण्ड से कम से कम दो प्रश्न हों।

(ii)    सभी प्रश्नों के अंक समान हैं।

FIRST PAPER

खण्ड-अ (Section-A)

1.    निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पर टिप्पणियाँ लिखिए, जिनमें से प्रत्येक 200 शब्दों से अधिक हो:

(क)   राज्य का अस्तित्व जीवन के लिए है और इसकी निरन्तरता सदजीवन के लिए है। -अरस्तू

(ख)   नकारात्मक स्वतंत्रता की अवधारणा।

(ग)   राजा को मैकियावेली की सलाह।

(घ)   संप्रभुता के सिद्धान्त पर वैश्वीकरण का प्रभाव।

2.    उदारवाद एवं मार्क्सवाद में ‘सम्पत्तिा, ‘राज्य’ एवं ‘प्रजातंत्र’ के संदर्भ में क्या मतभेद हैं। एक बेहतर समाज की स्थापना के लिए आप किस सिद्धान्त को ठीक समझते है ? अपने उत्तर के कारणों को स्पष्ट करें।

3.    प्लेटो और अरस्तू के विचारों में क्या अन्तर है ? आपके अनुसार उनके विचार में अन्तर का क्या कारण हो सकता है ?

4.    मार्क्स के क्रांति के सिद्धान्त पर एक आलोचनात्मक निबंध लिखें। क्या आज के संदर्भो में इस सिद्धान्त की कोई प्रासंगिकता हो सकती है।

Section-B/खण्ड-ब

5.    निम्न में से किन्हीं दो पर टिप्पणी लिखिए

(अ)   राजनीतिक संस्कृति स्थायित्व एवं अवस्था का भी कारण है।

(ब)   न्यायिक सक्रियता।

(स)   डॉ० बी० आर० अंबेडकर के राजनीतिक विचार।

(द)    पंचायती राज एवं सामाजिक परिवर्तन ।

6.    तिलक के राष्ट्रवाद के विषय में विचार बतायें। किस प्रकार तिलक का राष्ट्रवाद के प्रति दृष्टिकोण अरविन्दो घोष के दृष्टिकोण से भिन्न था ?

7.    गांधी के सत्य एवं अहिंसा संबंधी विचारों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।

8.    भारत में मिलीजुली राजनीति से प्रधानमंत्री की सत्ता का हास हुआ है। क्या आप इस मत से सहमत हैं? अपने उत्तर के समर्थन में तर्क दीजिये।

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