DAILY CURRENT AFFAIRS
- November 19, 2021
- Posted by: Sushil Pandey
- Category: Current Affairs Daily News Analysis
राष्ट्रीय
महोबा
चर्चा मैं क्यों
- प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने महोबा से बुन्देलखंड के विकास के लिए मुख्य तीन परियोजनाओं की शुरुआत की है
- ‘उज्ज्वला 2.0’ को भी यहीं से लॉन्च किया गया था
अर्जुन सहायक परियोजना
- यह 2,600 करोड़ रुपये की सिंचाई परियोजना है। यह धसान नदी पर बनाई जा ही है। यह परियोजना उत्तर प्रदेश के बांदा, महोबा और हमीरपुर के 168 गांवों में 1.5 लाख किसानों को सिंचाई की सुविधा प्रदान करेगी।
- इस परियोजना के पूरा होने के बाद, लगभग चार लाख लोगों को शुद्ध पेयजल मिलेगा। इस परियोजना के तहत 15,000 हेक्टेयर क्षेत्र को सिंचाई सुविधा प्रदान की जाएगी।
- धसान नदी बेतवा नदी की एक दाहिनी किनारे की सहायक नदी है। यह मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में बेगमगंज तहसील से निकलती है। इस नदी की लंबाई 365 किमी. है। इस नदी को प्राचीन काल में दशार्ण के नाम से भी जाना जाता था।
- रतौली वियर परियोजना, भाओनी बांध परियोजना और मझगांव-चिल्ली स्प्रिंकलर परियोजना
- इन परियोजनाओं की कुल लागत 3,250 करोड़ रुपये से अधिक है और इनके संचालन से महोबा, हमीरपुर, बांदा और ललितपुर जिलों में लगभग 65000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई में मदद मिलेगी, जिससे क्षेत्र के लाखों किसान लाभान्वित होंगे। इन परियोजनाओं से क्षेत्र को पेयजल भी प्राप्त होगा।
संस्कृति
विश्व विरासत सप्ताह
- विश्व धरोहर सप्ताह हर साल 19 से 25 नवंबर तक मनाया जाता है।
- वर्तमान में देश में 3 हजार 691 स्मारक पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित किए गए है। सबसे अधिक 745 स्थल उत्तर प्रदेश में हैं। इनमें से 143 स्मारकों पर टिकट के द्वारा प्रवेश है।
पर्यावरण
जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक 2022
जर्मनवाच, न्यू क्लाइमेट इंस्टीट्यूट और क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क द्वारा संकलित जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक 2022 (Climate Change Performance Index: CCPI 2022) का 17वां संस्करण 9 नवंबर, 2021 को जारी किया गया।
- महत्वपूर्ण तथ्य:
- वार्षिक जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक वर्ष 2005 से प्रकाशित किया जाता है।
- CCPI 60 देशों और यूरोपीय संघ के जलवायु संरक्षण प्रदर्शन पर नजर रखने के लिए एक स्वतंत्र निगरानी उपकरण है।
- समग्र रैंकिंग के पहले तीन स्थानों पर किसी भी देश को जगह नहीं दी गई है।
- सूचकांक में डेनमार्क चौथे, स्वीडन पांचवें, नॉर्वे छठे, यूनाइटेड किंगडम सातवें तथा मोरक्को आठवें स्थान पर है।
- सूचकांक में सबसे अंतिम 64वें स्थान पर कजाकिस्तान है।
- सूचकांक में भारत की स्थिति: समग्र रैंकिंग में भारत 69.22 के स्कोर के साथ 10वें नंबर पर है। भारत ने अक्षय ऊर्जा श्रेणी को छोड़कर उच्च प्रदर्शन किया है, अक्षय ऊर्जा श्रेणी में इसे “मध्यम” स्थान दिया गया है। भारत अपेक्षाकृत कम प्रति व्यक्ति उत्सर्जन से लाभान्वित हो रहा है।
ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन श्रेणी:
- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन श्रेणी में भी पहले तीन रैंक को खाली रखा गया है।
- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के मामले में यूनाइटेड किंगडम, स्वीडन, मेक्सिको, चिली और मिस्र शीर्ष स्थान पर हैं। भारत यहां भी 31.42 के स्कोर के साथ 10वें स्थान पर है।
सोशल इशू
सफाईमित्र सुरक्षा चैलेंज
विश्व शौचालय दिवस (19 नवंबर) समारोह के हिस्से के रूप में, आवास और शहरी विकास मंत्रालय ने 14 नवंबर, 2021 को ‘सफाईमित्र सुरक्षा चैलेंज’ (Safaimitra Suraksha Challenge) पर एक सप्ताह तक चलने वाला जागरूकता अभियान शुरू किया। सफाई मित्र सुरक्षा चैलेंज में कुल 246 शहर भाग ले रहे हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य:
- इस चैलेंज के माध्यम से, मंत्रालय का उद्देश्य शहरों को अपने सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के कार्यों को मशीनीकृत करने के लिए प्रोत्साहित करना है ताकि सफाई कर्मचारियों की मृत्यु को रोका जा सके।
- मंत्रालय ने 19 नवंबर, 2020 को विश्व शौचालय दिवस के अवसर पर सीवर और सेप्टिक टैंकों की खतरनाक सफाई की प्रथा को खत्म करने और मशीनीकृत सफाई को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सफाईमित्र सुरक्षा चैलेंज शुरू किया था।
- सभी 246 भाग लेने वाले शहरों ने पहले ही एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक (Single-use plastic) पर प्रतिबंध लगा दिया है।
डेवलपमेंट
PMGSY-I एवं II और RCPLWEA परियोजना का महत्त्व एवं चुनौतियाँ
चर्चा में क्यों?
- आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने सड़कों और पुलों के निर्माण के शेष कार्यों को पूरा करने के लिये प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना-I और II (PMGSY-I और II) को सितंबर, 2022 तक जारी रखने हेतु अपनी मंज़ूरी दे दी है।
- आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों के लिये सड़क संपर्क परियोजना (RCPLWEA) को मार्च 2023 तक जारी रखने के लिये भी अपनी मंज़ूरी दी।
प्रमुख बिंदु
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY):
PMGSY-I:
- PMGSY-I जनगणना-2001 के अनुसार मैदानी क्षेत्रों में 500 से अधिक जनसंख्या वाली और उत्तर-पूर्व तथा हिमालयी राज्यों में 250 से अधिक जनसंख्या वाली सड़क से वंचित बस्तियों को कनेक्टिविटी प्रदान करने हेतु वर्ष 2000 में शुरू की गई केंद्र प्रायोजित योजना है।
- इस योजना में पात्र बसावटों वाले उन सभी ज़िलों के लिये मौजूदा ग्रामीण सड़कों के उन्नयन के घटक भी शामिल थे।
PMGSY-II:
इसे मई 2013 में कैबिनेट द्वारा अनुमोदित किया गया था, जिसमें मौजूदा ग्रामीण सड़क नेटवर्क के 50,000 किलोमीटर लंबाई को पूरा करने की परिकल्पना की गई थी।
PMGSY-III:
- इसे वर्ष 2019 में 1,25,000 किलोमीटर मौजूदा रूटों और प्रमुख ग्रामीण लिंकों के माध्यम से बसावटों के साथ-साथ ग्रामीण कृषि बाज़ारों, उच्चतर माध्यमिक स्कूलों तथा अस्पतालों को जोड़ने हेतु शुरू किया गया था।
- योजना की कार्यान्वयन अवधि मार्च 2025 तक है।
- वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों के लिये सड़क संपर्क परियोजना:
- इसे वर्ष 2016 में 9 राज्यों (आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश) के 44 ज़िलों में सामरिक महत्त्व की 5,412 किलोमीटर लंबी सड़कों और 126 पुलों के निर्माण/उन्नयन का कार्य के लिये शुरू किया गया था।
कार्यान्वयन अवधि: 2016-17 से 2019-20
गृह मंत्रालय ने राज्यों और सुरक्षा बलों के परामर्श से इस योजना के तहत सड़कों और पुलों के कार्यों की पहचान की है।
महत्त्व:
- PMGSY पर किये गए विभिन्न स्वतंत्र प्रभाव मूल्यांकन अध्ययनों से यह निष्कर्ष प्राप्त होता है कि इस योजना का कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, शहरीकरण और रोज़गार सृजन आदि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
- ग्रामीण संपर्क विकास की एक अनिवार्यता है।
- सभी मौसमों में सड़क संपर्क उपलब्ध होने से आपस में जुड़े परिवेशों की आर्थिक क्षमता विस्तृत होगी।
- मौजूदा ग्रामीण सड़कों के उन्नयन से लोगों, वस्तुओं और अन्य सेवाओं हेतु परिवहन सेवा प्रदाता के रूप में सड़क नेटवर्क की समग्र दक्षता में सुधार होगा।
- सड़कों के निर्माण/उन्नयन से स्थानीय जनता के लिये प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह के रोज़गार सृजित होंगे।
चुनौतियाँ:
- धन का अभाव।
- पंचायती राज संस्थाओं की सीमित भागीदारी।
- अपर्याप्त निष्पादन और अनुबंध क्षमता।
- काम के लिये उचित मौसम का अभाव तथा विशेष रूप से पहाड़ी राज्यों में दुर्गम क्षेत्र।
- निर्माण सामग्री का अभाव।
- विशेष रूप से वामपंथी उग्रवाद ( Left Wing Extremism- LWE) वाले क्षेत्रों में सुरक्षा संबंधी चिंताएं।
आगे की राह
- ग्रामीण सड़क संपर्क (Rural Road Connectivity) ग्रामीण विकास का एक प्रमुख घटक है क्योंकि यह आर्थिक और सामाजिक सेवाओं तक पहुंँच को बढ़ावा देता है। इसके अलावा यह भारत में कृषि आय और उत्पादक रोज़गार के अवसर पैदा करने में मदद करता है। इस संबंध में सरकार बुनियादी ग्रामीण बुनियादी ढांँचे के निर्माण हेतु अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के साथ जुड़ाव पर विचार कर सकती है।
इकॉनमी
शेल तेल
चर्चा में क्यों?
केयर्न इंडिया पश्चिमी राजस्थान के ‘लोअर बाड़मेर हिल फॉर्मेशन’ में शेल अन्वेषण शुरू करने के लिये अमेरिका स्थित हॉलिबर्टन के साथ साझेदारी करेगी।
चर्चा में क्यों?
केयर्न इंडिया पश्चिमी राजस्थान के ‘लोअर बाड़मेर हिल फॉर्मेशन’ में शेल अन्वेषण शुरू करने के लिये अमेरिका स्थित हॉलिबर्टन के साथ साझेदारी करेगी।
प्रमुख बिंदु:
शेल तेल और गैस:
शेल तेल:
शेल तेल और पारंपरिक कच्चे तेल के बीच महत्त्वपूर्ण अंतर यह है कि यह छोटे बैचों में और पारंपरिक कच्चे तेल की तुलना में गहराई में पाया जाता है।
शेल गैस:
पारगम्य चट्टानों से आसानी से निकाले जा सकने वाले पारंपरिक हाइड्रोकार्बन के विपरीत, शेल गैस कम पारगम्य चट्टानों के नीचे पाई जाती है।
निष्कर्षण प्रक्रिया:
- निष्कर्षण के लिये हाइड्रोलिक फ्रैकिंग/फ्रैक्चरिंग प्रक्रिया के माध्यम से हाइड्रोकार्बन को मुक्त करने हेतु तेल और गैस समृद्ध शेल में फ्रैक्चर के निर्माण की आवश्यकता होती है।
- इसे कम पारगम्य चट्टानों को तोड़ने और शेल गैस के भंडार तक पहुँचने के लिये ‘दबावयुक्त जल, रसायन एवं रेत’ (शेल द्रव) के मिश्रण की आवश्यकता होती है।
शीर्ष उत्पादक:
- रूस और अमेरिका दुनिया के सबसे बड़े शेल तेल उत्पादकों में से हैं, अमेरिका में शेल तेल उत्पादन में वृद्धि ने 2019 में देश को कच्चे तेल के आयातक से शुद्ध निर्यातक में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- संबद्ध चिंताएँ: शेल तेल और गैस की खोज के लिये पर्यावरणीय चिंताओं के अलावा अन्य कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे- फ्रैकिंग के लिये पानी की अति आवश्यकता और भूजल संदूषण की संभावना।
- शेल चट्टानें आमतौर पर एक्विफर’ (ऐसी चट्टानें जिनमें उपयोग योग्य जल/ पीने का पानी पाया जाता है) चट्टानों के समीप पाई जाती हैं।
- ‘फ्रैकिंग’ करते समय शेल द्रव संभवतः जलभृतों में प्रवेश कर सकता है, इससे पीने और सिंचाई के प्रयोजनों के लिये उपयोग किये जाने वाले भूजल में मीथेन विषाक्तता हो सकती है।
पारंपरिक और अपरंपरागत संसाधन
- पारंपरिक तेल या गैस ऐसी संरचनाओं से प्राप्त होता है, जिनसे उत्पाद निकालना अपेक्षाकृत आसान होता है।
- भूवैज्ञानिक संरचनाओं से जीवाश्म ईंधन ऐसे मानक तरीकों से प्राप्त किया जा सकता है, जिनका उपयोग ईंधन को भंडार से निकालने के लिये किया जाता है।
- पारंपरिक संसाधनों का उत्पादन आसान और कम खर्चीला होता है, क्योंकि उन्हें किसी विशेष तकनीक की आवश्यकता नहीं होती है और इसके लिये सामान्य तरीकों का उपयोग किया जा सकता है।
- अपरंपरागत तेल या गैस संसाधनों को निकालना अधिक कठिन होता है।
- इनमें से कुछ संसाधन जलाशयों में खराब पारगम्यता और सरंध्रता के साथ फँस जाते हैं, जिसका अर्थ है कि तेल या प्राकृतिक गैस को छिद्रों के माध्यम से और एक मानक कुएँ में प्रवाहित करना बेहद मुश्किल या असंभव कार्य है।
- इन जलाशयों से उत्पादन प्राप्त करने में सक्षम होने के लिये विशेष तकनीकों और उपकरणों का उपयोग किया जाता है।
भारत में शेल तेल की खोज की संभावनाएँ:
- वर्तमान में भारत में ‘शेल तेल’ और गैस का बड़े पैमाने पर व्यावसायिक उत्पादन नहीं होता है।
- सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी- ओएनजीसी ने वर्ष 2013 में गुजरात में ‘कैम्बे बेसिन’ और आंध्र प्रदेश में कृष्णा गोदावरी बेसिन में शेल तेल की संभावनाएँ तलाशी थीं।
- हालाँकि यह निष्कर्ष निकाला गया है कि इन घाटियों में देखे गए तेल प्रवाह की मात्रा ‘व्यावसायिकता’ का संकेत नहीं देती है और भारतीय शेल्स की सामान्य विशेषताएँ उत्तरी अमेरिका में पाए गए शेल से काफी अलग हैं।
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध
सिडनी डायलॉग
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सिडनी डायलॉग के उद्घाटन में मुख्य भाषण दिया।
- भाषण में उन्होंने भारत के प्रौद्योगिकी विकास और क्रांति के विषय पर बात की।
प्रमुख बिंदु:
मुख्य विशेषताएँ:
- अंतर्राष्ट्रीय आदेश के तहत यह सुनिश्चित करना चाहिये कि क्रिप्टोकरेंसी गलत हाथों में न जाए।
- प्रधानमंत्री ने क्रिप्टोकरेंसी बाज़ार की अनियमित प्रकृति का हवाला देते हुए प्रगतिशील और दूरंदेशी कदम उठाने का आह्वान किया।
- भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र निजी निवेश के लिये खुला है और कृषि क्षेत्र डिजिटल क्रांति का लाभ उठा रहा है।
- वर्ष 2020 में सरकार ने भारतीय अंतरिक्ष बुनियादी ढाँचे का उपयोग करने के लिये निजी कंपनियों हेतु एकसमान अवसर प्रदान करने के लिये भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्द्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) खोला।
- राजनीति, अर्थव्यवस्था और समाज को नए सिरे से परिभाषित करने वाली भारत की डिजिटल क्रांति के विकास पर प्रकाश डाला।
- हालाँकि डिजिटल युग संप्रभुता, शासन, नैतिकता, कानून, अधिकार और सुरक्षा पर नए सवाल उठा रहा है।
भारत द्वारा सूचीबद्ध पाँच महत्त्वपूर्ण परिवर्तन:
- पहला, भारत में दुनिया का सबसे व्यापक सार्वजनिक सूचना ढाँचा बनाया जा रहा है।
- 1.3 बिलियन से अधिक भारतीयों के पास एक विशिष्ट डिजिटल पहचान (आधार) है और छह लाख गाँव जल्द ही ब्रॉडबैंड व दुनिया के सबसे कुशल भुगतान बुनियादी ढाँचे यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) से जुड़ जाएंगे।
- दूसरा, शासन, समावेश, सशक्तीकरण, कनेक्टिविटी, लाभ वितरण और कल्याण के लिये डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग।
उदाहरण:
- प्रधानमंत्री जन-धन योजना (PMJDY), सामान्य सेवा केंद्र (CSC) आदि।
- तीसरा, भारत के पास दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा और सबसे तेज़ी से बढ़ने वाला स्टार्टअप इकोसिस्टम है।
- चौथा, भारत का उद्योग और सेवा क्षेत्र, यहाँ तक कि कृषि भी बड़े पैमाने पर डिजिटल परिवर्तन के दौर से गुज़र रही है।
उदाहरण:
- गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (GeM), एग्री-स्टार्टअप आदि।
- पाँच, यह भारत को भविष्य के लिये तैयार करने का एक बड़ा प्रयास है।
- 5G और 6G जैसी दूरसंचार प्रौद्योगिकी में स्वदेशी क्षमताओं के विकास हेतु निवेश करना।
- भारत ‘कृत्रिम बुद्धिमता’ और ‘मशीन लर्निंग’ में अग्रणी देशों में से एक है, विशेष रूप से कृत्रिम बुद्धिमता के मानव-केंद्रित और नैतिक उपयोग के मामले में।
- क्लाउड प्लेटफॉर्म और क्लाउड कंप्यूटिंग में मज़बूती के साथ क्षमताओं का विकास करना।
सिडनी डायलॉग:
- यह ऑस्ट्रेलियन स्ट्रेटेजिक पाॅलिसी इंस्टीट्यूट’ की एक पहल है।
- यह दुनिया में कानून व्यवस्था की स्थिति और डिजिटल डोमेन पर चर्चा करने के लिये साइबर और महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों का एक वार्षिक शिखर सम्मेलन है।
अन्य संबंधित पहलें:
पूर्वी आर्थिक मंच:
- पूर्वी आर्थिक मंच (EEF) की स्थापना वर्ष 2015 में रूसी संघ के राष्ट्रपति द्वारा की गई थी।
- यह विश्व अर्थव्यवस्था, क्षेत्रीय एकीकरण और नए औद्योगिक एवं तकनीकी क्षेत्रों के विकास के साथ-साथ रूस तथा अन्य देशों के समक्ष आने वाली वैश्विक चुनौतियों के प्रमुख मुद्दों पर चर्चा करने हेतु एक मंच के रूप में कार्य करता है।
फ्यूचर इन्वेस्टमेंट इनिशिएटिव:
- फ्यूचर इन्वेस्टमेंट इनिशिएटिव (FII) को व्यापक रूप से ‘दावोस इन डेज़र्ट’ के रूप में वर्णित किया गया है। यह सऊदी अरब का प्रमुख निवेश सम्मेलन है।
- इसका अनौपचारिक नाम (दावोस इन डेज़र्ट) विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक से निकला है, जो स्विट्ज़रलैंड के दावोस में आयोजित होती है, जहाँ विश्व के नेता अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करते हैं।